
बिशेष प्रतिनिधि द्वारा
दुमका: महिला पर्यवेक्षक की लॉगिन आईडी से छेड़छाड़ करके मातृ वंदना योजना के 1916 फर्जी लाभार्थियों के नाम चढ़ाने के मामले की जांच शुरू हो गई है. इस मामले में एसडीओ ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं. दरअसल, दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड में बाल विकास योजना की महिला पर्यवेक्षक सुशीला कुमारी और हेमलता कुमारी की लॉगिन आईडी से छेड़छाड़ हुई है. उनका मोबाइल नंबर बदलकर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के 1916 फर्जी लाभार्थियों की ऑनलाइन एंट्री और उसका सत्यापन करने के मामले की जांच शुरू हो गई है. जिला के उपायुक्त के निर्देश पर एसडीओ कौशल कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है. इसमें जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अंजू कुमारी, शिकारीपाड़ा बीडीओ एजाज आलम, सीओ कपिल देव ठाकुर, थाना प्रभारी अमित लकड़ा शामिल हैं. इस टीम ने सबसे पहले बारीकी से पहले पूरे घटनाक्रम को जाना और फिर इसकी जांच शुरू की. टीम अब उस लिस्ट को भी खंगाल रही है जिसे फर्जीवाड़ा करने वालों ने तैयार किया है. बता दें कि कुछ दिन पहले शिकारीपाड़ा प्रखंड में बाल विकास योजना की महिला पर्यवेक्षक सुशीला कुमारी और हेमलता कुमारी की लॉगिन आईडी का मोबाइल नंबर बदलकर फर्जी लाभुकों की ऑनलाइन एंट्री और उसका सत्यापन करने का मामला प्रकाश में आया था.

इस संबंध में महिला पर्यवेक्षक सुशीला कुमारी ने शिकारीपाड़ा थाना में एफआईआर दर्ज कराई. जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत क्षेत्र में आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लाभार्थियों को चिन्हित करके उनकी एंट्री खुद की लॉगिन आईडी से किया और बाद में मेरी सहकर्मी हेमलता कुमारी ने अपनी लॉगिन आईडी के माध्यम से उन लोगों का सत्यापन करके मंजूरी के लिए फॉरवर्ड कर दिया. इस माह के 8 अप्रैल को हम दोनों पर्यवेक्षक के द्वारा इस योजना के अंतर्गत सेविकाओं के द्वारा किए गए लाभुकों की एंट्री सत्यापन के लिए अपनी-अपनी आईडी के माध्यम से लॉगिन करने का प्रयास करने लगे. लेकिन उस दिन से 17 अप्रैल तक लॉगिन नहीं हुआ. हम लोगों को जिला मुख्यालय के कार्यालय से यह सूचना मिली कि इस योजना के तहत हमारे बिना सत्यापित लाभुकों के नाम की एंट्री और सत्यापन में लगातार वृद्धि हो रही है, जबकि सच्चाई यह थी कि 8 अप्रैल से हम लोगों के द्वारा एक भी लाभुकों का सत्यापन नहीं हुआ है. इस संबंध में जब हमने अपनी सेविकाओं से पूछा तो पता चला कि वह भी काफी दिनों से अपनी आईडी से लॉगिन नहीं किया. इसको लेकर महिला पर्यवेक्षकों ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से बात की. उनके द्वारा जब अपनी लॉगिन आईडी को खोला तो उसमें पाया गया कि हम लोगों के नंबर के बदले उसमें कई अलग-अलग नंबर दिख रहे हैं. 8 अप्रैल से 17 अप्रैल तक 1916 मातृ वंदना योजना के फर्जी लाभार्थियों के नाम की एंट्री हुई हैं. महिला पर्यवेक्षक ने एफआईआर में उन नंबरों को भी दर्ज किया है जिस नंबर से फर्जी एंट्री हुई हैं. पुलिस ने इस संबंध में भारतीय न्याय संहिता की धारा 336 (2)(3), 337 के साथ 66 (सी) और 66 (डी) आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है.
‘अभी यह जांच लगातार चलेगी. उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस की टेक्निकल सेल को भी शामिल किया गया है. इसके साथ ही यह टीम फील्ड में भी जाकर लाभुकों का भौतिक सत्यापन करेगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी’
-कौशल कुमार, एसडीओ